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परछाइयों का शहर

  • Vaibhav Deorari
  • May 19
  • 1 min read
Photo by Dr Vaibhav Deorari
Photo by Dr Vaibhav Deorari

शहर घूमते हुए, आज रोशनी और इमारतों का खेल अद्भुत लगा। उनकी बनावट और परछाइयों ने ध्यान खींचा। शीशे की इमारतें आसमान और पुरानी इमारतों को दिखा रही थीं, जैसे वे आपस में बात कर रही हों। एक ऊँची इमारत सूरज की रोशनी में नाच रही थी, पुरानी इमारतों से मिलकर सुन्दर लग रही थी।


इमारतों की परछाइयों ने शहर को गहरा और दिलचस्प बनाया, समय के बीतने का एहसास दिलाया। ये परछाइयाँ इमारतों को जोड़ रही थीं, विविधता में एकता दिखा रही थीं।


जिस तरह इमारतें रोशनी और परछाईं देती हैं, वैसे ही हमारे काम भी दूसरों पर असर डालते हैं। आज की सैर सिर्फ घूमना नहीं थी, बल्कि यह सोचने का मौका था कि हम सब कैसे जुड़े हैं और हमारा क्या प्रभाव पड़ता है।

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